द फॉलोअप डेस्क
अमेरिका से हाल ही में 500 भारतीयों को 3 फ्लाइट्स में डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया। ये सभी लोग अवैध दस्तावेजों के साथ अमेरिका पहुंचे थे। लेकिन अब इससे भी बड़ा संकट मंडरा रहा है—हजारों ऐसे भारतीयों पर जो नाबालिग के रूप में वहां पहुंचे थे और H-4 वीजा पर रह रहे थे। अब जब वे 21 साल के होने वाले हैं, तो उनके भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। अमेरिकी कानून के मुताबिक, नाबालिग के रूप में पहुंचे लोग अपने एच-1बी वीजा धारक माता-पिता पर निर्भर नहीं रह सकते। पहले उन्हें अपने वीजा का स्टेटस बदलने के लिए दो साल का समय मिलता था, लेकिन अब नई वीजा नीति ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
क्या हैं विकल्प?
कई भारतीय अब अन्य देशों में स्थायी बसने के रास्ते तलाश रहे हैं। कनाडा और ब्रिटेन जैसी जगहों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां अप्रवासन नीतियां तुलनात्मक रूप से लचीली हैं। अमेरिका में रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड का बैकलॉग पहले से ही लंबा है, जिससे नए आवेदकों को नागरिकता पाना और भी कठिन हो गया है। अमेरिका ने हाल ही में एच-1बी वीजा के लिए रजिस्ट्रेशन पीरियड की घोषणा की है, जो 7 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा। यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी विशेषज्ञों को काम पर रखने की अनुमति देता है, लेकिन इसमें हर साल केवल 65,000 वीजा जारी किए जा सकते हैं, जबकि अमेरिका में मास्टर्स डिग्री रखने वाले अतिरिक्त 20,000 लोगों को यह अवसर मिलता है।
अब अमेरिका ने वीजा प्रक्रिया को सख्त कर दिया है, जिसमें रजिस्ट्रेशन फीस 215 डॉलर कर दी गई है। अनुमान है कि करीब 1.34 लाख भारतीय युवा इस संकट से जूझ रहे हैं, जिनकी उम्र 21 के करीब है और उनके परिवार के पास ग्रीन कार्ड नहीं है।
नागरिकता पाने की राह और मुश्किल हुई
हाल ही में टेक्सास कोर्ट ने नए आवेदकों के लिए वर्क परमिट जारी करने पर रोक लगा दी है। पहले Deferred Action for Childhood Arrivals (DACA) नियम के तहत नाबालिगों को दो साल का अतिरिक्त समय मिलता था, लेकिन अब यह सुविधा भी समाप्त हो गई है। अब हजारों भारतीयों के पास अमेरिका छोड़ने या किसी वैकल्पिक रास्ते की तलाश करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। वीजा नीतियों में आए बदलाव से अमेरिका में रह रहे भारतीय परिवारों की चिंता बढ़ गई है। आने वाले समय में यह मुद्दा और गंभीर हो सकता है।